पिपरपाँती एकम्बा खाता हाट का मेला शुरू होने जारही है
खाता हाट का झुला का दृश्य
हमारे गावं पिपरपाँती खाता हाट का मेला भी बहुत प्राचीन काल से चला आरहा है| ये
मेला साल में एक ही बार आता है जिसे हम बहुत उत्साह से मनाते है | ये मेला हर साल 15 जनवरी से आरंभ
होती है | ये मेला लगभग 15 से 20 दिन तक ये मेला लगी रहती है | हमारे खाता हाट का
मेला हमारे लिए खुशियाँ और खाता हाट के दुकानदार भी ये मेला का इंतज़ार करते है |
इस मेले में तरह तरह का झुला और देखने के लिए चित्रहार और बहुत सरे खेल का आयोजित
किया जाता है | बच्चे अपने ख़ाहिश को पूरा करने मेला में आते है और बहुत सारी सामान
लेते है और ख़ुशी ख़ुशी अपने घर चले जाते है मेला में खास बात ये होती है कि यहाँ
तरह तरह के लोग आते है और हर तरह के लोग मिलते है जिससे आप सभी के आनंद दू गुने हो जाते
है यहाँ पर हर तरह के सुविधा रखी गयी है आप अपने साइकिल या मोटर साइकिल रखने का भी
इंतज़ाम किया गया है जिससे आप अपनी समान रख सकते है और मेले का भरपूर आनंद ले सकते
है | खाता हाट के मेले में आपको सभी हर तरह समाग्री मिल सकता है आये और मेले का आनंद
ले मेला में किया किया होता है इस के बारे में बहुत सारी और भी जानकारी निचे लिखी हुवी
है |मेला का दृश्य
भारत में मेलों का प्रमुख स्थान है भारतीय मेले उत्साह और मनोरंजन के लिए जाने जाते है. भारत के किसी भी शहर या गांव में जब भी मेले का आयोजन किया जाता है तो वह किसी न किसी कारण से किया जाता है. कुछ मेले किसी धर्म के देवी देवताओं से जुड़े हुए होते है तो कुछ देश के बड़े त्योहारों पर आयोजित होते है.
आजकल शहरों में लोगों के मनोरंजन के लिए कुछ मेले ऐसे भी आयोजित करती हो जाते है जिससे शहर के लोग अपनी चिंता भरी जिंदगी से चिंता मुक्त होकर मनोरंजन कर सकें. बहुत से मेले का आयोजन होता है उनमें से कुछ प्रमुख मिले इस प्रकार हैं खाता हाट एकम्बा जलालगढ़ पूर्णियाँ का मेला कुंभ का मेला, पुष्कर का मेला, सावन मेला, सोनपुर का मेला, हेमिस गोंपा मेला आदि है.
भारत में तरह-तरह के मेलों का आयोजन किया जाता है जिसमें पशु मेला, विज्ञान मेला, पुस्तक मेला, बाल मेला, कृषि मेला, मनोरंजन के लिए मेला, घरेलू सामान का मेला, किसी धर्म या देवी देवताओं से जुड़ा हुआ मेला और आजकल तो वाहनों का मेला भी लगने लगा है.
भारत में मेलों का आयोजन पुराने जमाने से ही किया जाता रहा है इसका एक प्रमुख कारण यह भी है कि इस दिन लोग आपस में मिलजुल सकते हैं और अपने जीवन की समस्याओं को भूलाते हुए जीवन का आनंद ले सकते है |
हमारे गांव में भी हर साल दो से तीन मेलों का आयोजन होता है इसमें प्रमुख रुप से हमारे लोक देवता रामदेव जी का मेला लगता है. इस मेले का आयोजन बहुत ही बड़े मैदान में किया जाता है क्योंकि यह मेला करीब 10 दिनों तक चलता है जिसके कारण इसमें आसपास के शहरों और गांवों के लोग भी इस मेले को देखने आते है.
मैं और मेरे मित्र मेले वाले दिन सुबह ही मेले में नए कपड़े पहन कर और तैयार होकर मेले में पहुंच गए. यहां पर मेरे कुछ दोस्तों ने मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पानी पिलाने की व्यवस्था की थी वहां पर जाकर हमने शाम तक श्रद्धालुओं को पानी पिलाया और शाम होने पर हम मेले में घूमने के लिए निकल पड़े.
मेले में बहुत भीड़ भाड़ थी और संध्या का समय होने के कारण अधिक लोग मेले में आ रहे थे इसलिए वहां पर धक्का-मुक्की बहुत बढ़ गई थी. हमने सबसे पहले मेले में जाकर हमारे लोक देवता रामदेव जी के दर्शन किए और फिर मेला घूमने के लिए निकल पड़े.
मेले में चारों चारों तरफ दुकानदार चिल्ला-चिल्लाकर लोगों को अपना सामान खरीदने के लिए लुभा रहे थे. कुछ लोग बड़े झूले पर झूल रहे थे जैसे ही झूला ऊपर जाता हूं लोग जोर-जोर से चिल्ला रहे थे और हंसी खुशी झूले का आनंद ले रहे थे.
बच्चों के लिए घोड़े वाले, मछली वाले और साधारण चकरी वाले झूले लगे हुए थे जिन पर बच्चे झूलकर बड़े खुश हो रहे थे. झूलो को देखकर हमारा मन में झूला झूलने को करने लगा इसलिए हमने भी बड़े वाले झूले की टिकट ली और झूले में बैठ गए झूला जैसे ही ऊपर जाता हमें बहुत अच्छा लगता लेकिन जैसे ही गांव नीचे की ओर आता हूं तो डर भी लगता लेकिन झूला झूलकर बहुत आनंद आया.
मेले में बहुत ही स्वादिष्ट व्यंजनों की खुशबू हमारा मन ललचा रही थी. हम भी मेले का आनंद लेते हुए चाट की दुकान पर पहुंचे और बहुत से स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद उठाया. इनमें मुझे सबसे स्वादिष्ट समोसे और कचोरी लगी. इसके बाद हमने कुछ गोलगप्पे खाए और रंग बिरंगी आइसक्रीम खाकर बहुत मजा किया.
मेले में एक तरफ सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहे थे उनका भी हमने खूब उत्साह से आनंद उठाएं. इसके बाद मेले में एक तरफ पहलवानों की कुश्ती चल रही थी जिसमें एक पहलवान सभी पहलवानों को मात दे रहा था और आखिरकार वह जीत गया उसे जीतने पर 5100 रुपए का इनाम मिला. हमें भी कुश्ती देखकर एक अलग सा जोश आ गया.
मेले में एक तरफ प्रदर्शनी लगी हुई थी जहां पर कल ही लोग जा रहे थे लेकिन हमने प्रदर्शनिया जाकर देखी वहां पर अलग-अलग विषयों प्रदूषण, जल बचाओ, स्वच्छता अभियान आदि पर प्रदर्शनियां लगी हुई थी जो कि बहुत ही रोचक ढंग से सजी हुई थी.
संध्या के समय होने के कारण मेले में अधिक भीड़ हो गई थी इसलिए स्कूल के NCC के विद्यार्थी व्यवस्था संभालने में लगे हुए थे और अगर कहीं किसी का झगड़ा हो रहा होता तो वहां पर पुलिस भी व्यवस्था संभालने के लिए लगी हुई थी.
मेले में शाम को रंग बिरंगी लाइट जला दी गई थी जिसके कारण यह दृश्य बहुत ही मनोरम लग रहा था. हम मेले में आगे बढ़ रहे थे तभी हमें बहुत से खिलौनों की दुकान दिखाई दी वहां से मैंने अपने छोटे भाई बहनों के लिए कुछ गुब्बारे और कुछ खिलौने खरीदे.
आगे जाने पर एक जादूगर अपना जादू का खेल दिखा रहा था वह कभी फूल से कबूतर बनाता तो कबूतर से खरगोश हमें यह देख कर बहुत अच्छा लगा और हमने उत्साह से जादूगर का मनोबल बढ़ाते हुए तालियां बजाई. जादूगर ने भी खुश होते हुए हमें एक और जादू का खेल फ्री में दिखाया.
कुछ और आगे बढ़ने पर मेले में घरेलू सामान की दुकानें लगी हुई थी मैंने वहां से मां के लिए एक चिमटा और कुछ बर्तन खरीदें. शाम को लोग मेले में नाचते गाते हुए आ रहे थे और लोक देवता रामदेव जी के दर्शन कर रहे थे. मेले में बहुत देर घूमने के कारण हम बहुत थक गए थे इसलिए हम वहां एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठ गए और सुस्ताने लगे.
कुछ देर बाद हम मेले का एक राउंड और लगाने निकले तो हमने देखा कि खिलौने वाले दुकानदार रंग-बिरंगी लाइटों वाले खिलौने बेच रहे थे कुछ खिलौनों तो लाइट की चमक के साथ आसमान की ओर जाते हैं और फिर नीचे घूमते हुए आते हैं यह देख हमें बहुत ही अच्छा लगा और हम सब ने एक-एक लाइट वाला खिलौना खरीद लिया.
धीरे-धीरे अब रात होने लगी थी और मेले में भीड़ भी कम होने लगी थी हम भी बहुत थक गए थे इसलिए हमने मेले से घर जाने का निश्चय किया और कुछ समय बाद हम घर पहुंच गए मैंने अपने भाई-बहनों को उनके खिलौने दिए और मां को मेले के बारे में बड़े उत्साह से बताया. ऐसा मेला मैंने कभी नहीं देखा था यह मेला सदा के लिए मेरी यादों में बस गया है
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1 comment:
NICE MELA ENJOYING EVERYONE.............
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